Moorakh Mittar – Panchtantra Story – मूर्ख मित्र की कहानी
किसी राजा के राजमहल में एक बन्दर सेवक के रुप में रहता था ।
वह राजा का बहुत विश्वास-पात्र और भक्त था ।
अन्तःपुर में भी वह बेरोक-टोक जा सकता था ।
एक दिन जब राजा सो रहा था और बन्दर पङखा झल रहा था तो बन्दर ने देखा, एक मक्खी बार-बार राजा की छाती पर बैठ जाती थी ।
पंखे से बार-बार हटाने पर भी वह मानती नहीं थी, उड़कर फिर वहीं बैठी जाती थी ।
बन्दर को क्रोध आ गया । उसने पंखा छोड़ कर हाथ में तलवार ले ली और इस बार जब मक्खी राजा की छाती पर बैठी तो उसने पूरे बल से मक्खी पर तलवार का हाथ छोड़ दिया ।
मक्खी तो उड़ गई, किन्तु राजा की छाती तलवार की चोट से दो टुकडे़ हो गई । राजा मर गया ।
मूर्ख मित्र की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है ?
“मूर्ख मित्र की अपेक्षा विद्वान् शत्रु ज्यादा अच्छा होता है।”