Haathi aur Khargosh – हाथी और खरगोश – बच्चों के लिए पंचतंत्र की कहानी।
Haathi aur Khargosh – हाथी और खरगोश
एक जंगल में एक हाथी और एक खरगोश रहता था।
हाथी का नाम नंदू था और खरगोश का नाम चिंटू ।
दोनों घनिष्ठ मित्र थे , वह जंगल में एक साथ घूमा करते थे। उन दोनों की दोस्ती के चर्चाएं पूरे जंगल में हुआ करती थी।
एक दिन की बात है। मौसम अच्छा था , हवा चल रही थी । हरी भरी घास में चारों तरफ लहरा रही थी।
पेड़ों पर कोमल कोमल नयी नयी पत्तियां उग आयी थी। हाथी और खरगोश को नयी घास काफी पसंद आयी। दोनों ने पेट भर खाना खाया।
फिर दोनों आराम करने लगे।
जब दोना विश्राम कर रहे थे तो उन्हें खेल खेलने का मन किया। दोनों ने प्लान बनाया और खेल खेलने के लिए तैयार हो गए।
पर वो कोई नया खेल खेलना चाहते थे। ऐसा खेल जो पहले न खेला हो। इस पर नंदू ने बोला हम ऐसा खेल खेलेंगे जो पुराने खेल से अच्छा हो।
नंदू हाथी बोलै – हम यह खेल ऐसे खेलेंगे –
पहले मैं बैठ जाऊंगा और तुम मेरे ऊपर से उछल कर दूसरी तरफ कूदोगे फिर तुम बैठोगे मैं तुम्हारे ऊपर से कूद कर दूसरी तरफ निकलूंगा।
मगर नियम यह होगा की जब हम एक दूसरे के ऊपर से कूदेंगे तो एक दूसरे को स्पर्श नहीं होना है।
सो बिना स्पर्श किये दूसरी तरफ कूदना होगा।
चिंटू खरगोश डर रहा था किंतु मित्र का मन था इसलिए वह खेल खेलने को राजी हो गया।
पहले हाथी जमीन पर बैठ गया खरगोश दौड़ कर आया और हाथी के ऊपर से कूदकर दूसरी तरफ बिना स्पर्श किए कूद गया।
अब हाथी की बारी थी।
खरगोश नीचे बैठा मगर डर के मारे यह सोच रहा था कि कहीं हाथी मेरे ऊपर गिर गया तो मेरा भरता ही बन जायेगा।
मेरे तो प्राण ही निकल जाएंगे। यह सोच के खरगोश काफी डर गया।
तभी हाथी दौड़ता हुआ आया।
हाथी के दौड़ने से दाएं बाएं लगे नारियल के पेड़ हिलने लगे और ऊपर से नारियल टूटकर दोनों पर गिरने लगे ।
हाथी कुछ समझा नहीं , डर गया और वहां से भाग गया।
खरगोश ने भी अपनी जान बचाकर वहां से भागने का निर्णय किया।
खरगोश भागता हुआ सोच रहा था मित्र हाथी से अच्छा यह नारियल है। अगर मित्र नंदू मेरे ऊपर गिरता तो मेरा कचूमर ही निकल जाता।
सो इस Haathi aur Khargosh – हाथी और खरगोश कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की –
सच्चा मित्र सभी को बनाना चाहिए मगर ऐसा खेल नहीं खेलना चाहिए जिससे हानि हो।