Murkh kachua story in hindi with Moral :
एक तालाब में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था उसके पास एक मजबूत कवच था वह इस कवच के मदद से अपनी रक्षा करता था
कितनी बार उसकी जान इस कवच के कारण बची है
एक बार की बात है तालाब पर पानी पीने के लिए आई भैसों का पैर विशाल पर पड़ गया फिर भी विशाल कछुए को कुछ नहीं हुआ
उसके कवच ने उसकी रक्षा की इससे वह काफी खुश था
लेकिन इधर कुछ दिनों से विशाल कछुआ खुश नहीं था उसे अपने पीठ पर लगे कवच का भर जायदा लग रहा था।
उसने सोचा की कुछ दिनों के लिए इससे बहार निकल कर जिंदगी जीना चाहिए।
उसने सोचा – अब मैं इसे उठाकर नहीं चल सकता अब मैं बड़ा और बलवान हो गया हूं मुझे इस कवच की जरूरत नहीं है
अगले दिन विशाल कछुआ कवच को तालाब में छोड़कर बाहर घूमने निकल गया
कही से बहुत सारे हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने के लिए आया था
तभी वहाँ आचनक अफरा- तफरी मच गयी जिसके कारन सारे हिरण यहाँ -वहाँ भागने लगे
उनके पैर से विशाल कछुए को बहुत चोट लगी और वह रोने लगा क्योकि आज उसने अपना कवच नहीं पहना था
इससे उसे यह बात तो समझ में आ गई अगर आज तक बचा हूं सिर्फ इस कवच के सहारे ही !
उसने फिर कभी दोबारा ऐसी गलती नहीं की।
Moral – murkh kachua story
तो बच्चों अपने इस कहानी से क्या सीखा -भगवान से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना उसका बहुत बड़ा नुकसान भुगतना पड़ सकता है