Char Dost – चार दोस्त की कहानी – पंचतंत्र से कहानी जो बच्चों को एक सन्देश देती है की साथ में रहना चाहिए।
Char Dost – चार दोस्त – chapter 1
एक जंगल में चार दोस्त रहते थे । एक हिरण, एक कौआ, एक चूहा और एक कछुआ। चारों में गहरी दोस्ती थी।
हर दोपहर, वे एक छायादार बरगद के पेड़ के नीचे मिलते और घंटों बातें करते।
एक दिन सामान्य समय पर हिरण वहां नहीं पहुंचा। चूहा , कछुआ और कौआ सभी परेशान थे की उनका चौथा दोस्त क्यों नहीं आया ?
चूहे ने कौवा से कहा – ” तुम उड़ के चारो ओर जंगल में देख के आओ की हिरन कहाँ है ?”
कौआ ने तुरंत हामी भरी और वो उड़ गया।
हिरण को देखने के लिए उसे बहुत दूर नहीं जाना पड़ा। दुर्भाग्य से, हिरण एक शिकारी द्वारा बिछाये गए जाल में फंस गया था।
“अरे , दोस्त हिरण!” “क्या हुआ?” कौआ चिल्लाया।
हिरण ने चीखते हुए कहा, ” मैं आमतौर पर बहुत सावधान रहता हूं पर पता नहीं आज कैसे फंस गया।
कौए ने कहा, “मै कुछ मदद लेके आता हूं ।”
कौवा उड़ता हुआ बरगद के पेड़ के पास पूंछा , जहाँ चूहा और कछुआ उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उसने उन्हें सब बात बताया।
“दोस्त कछुआ, तुम यहीं रुको।” – चूहा बोला।
कौवा ने अपनी चोंच में चूहे को उठाया और तुरंत उस स्थान पर उड़ के गया जहां हिरण फंसा था।
अपने साथियों को देखकर हिरन बहुत खुश हुआ। चूहे ने जल्दी से जाल काट दिया।
हिरण अब आजाद था।
उतने में पीछे झाड़ियों से किसी ने आवाज दिया – लगता है हमारा दोस्त आजाद हो गया।
Char Dost – चार दोस्त – – chapter 2
सबने पीछे मुड़ कर देखा तो कछुहा था। वह भी धीरे धीरे वहां आ गया था।
तभी शिकारी वहां आ गया। शिकारी को देखते ही चूहा बिल में घुस गया , हिरन भाग खड़ा हुआ और कौवा उड़ गया।
पर कछुहा बहुत धीरे धीरे चल रहा था।
शिकारी को अपने नुक्सान पे बहुत गुस्सा आ रहा था। पर तभी उसकी नज़र कछुए पे पड़ी ,
उसने कछुहे को पकड़ लिया। उसने सोचा – हिरन हाथ से गया तो की हुआ मै इस कछुए का सूप पी लूंगा।
“हमने अपना दोस्त खो दिया है! ” कौआ उदास होक बोला ।
“नहीं, अभी भी उम्मीद है,” हिरन ने मुस्कराते हुए कहा। उसने अपने दो दोस्तों को एक योजना सुनाई।
शिकारी अपनी पीठ पर कछुए को लादे गाँव लौट रहा था । वह रास्ते में एक झील के पास से गुजरा।
उसने देखा कि एक मरा हुआ हिरण घास में पड़ा है। एक कौआ हिरण के ऊपर बैठा था , उसकी आँखों में झाँक रहा था।
शिकारी काफी खुश हुआ। उसने सोचा । “मैंने एक हिरण को खो दिया, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि मैंने दूसरा हिरन पा लिया है है!
उसने अपने आप से सोचा, “और मुझे इसे मारना भी नहीं पड़ा ” .
कछुआ मन ही मन हंस दिया। उसके दोस्त उनकी मदद करने आ चुके थे।
शिकारी घास पर कछुए को छोड़कर हिरण की ओर दौड़ा। तभी चूहा वहां आ गया और उसने रस्सी को काटकर कछुए को आजाद कर दिया।
कछुआ अब आजाद था। चूहा चिल्लाया, “दोस्त कछुआ, भागो!”
कछुहा तीजी से चलते हुए सीधे झील में चला गया।
इस बीच, शिकारी हिरण को पकड़ने के करीब था। तबं तक कछुआ झील में सुरक्षित पहुँच गया।
कौआ चिल्लाया, “काव! काव! ” और उड़ गया।
यह हिरन के लिए एक सन्देश था। हिरन अपने पैरों पे उछला और भागा। शिकारी उसे पकड़ नहीं पाया।
जब वह लौटा, तो उसे पता चला कि कछुआ भी जा चुका है!
चारों दोस्त वापस बरगद के पेड़ के पास आ गए।
कछुआ ने कहा, “मेरे जीवन को बचाने के लिए धन्यवाद दोस्तों!”
“कोई धन्यवाद नहीं,” हिरण ने मुस्कुराते हुए कहा,
“जब तक हम एक दूसरे के साथ हैं ।” “हम हमेशा सुरक्षित रहेंगे!”