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Teaching kids good manners – बच्चों मे उत्तम और अच्छे शिष्टाचार बढ़ाये – बच्चों को बचपन में ही सिखाएं ये 10 बातें

Teaching kids good manners – बच्चों मे उत्तम और अच्छे शिष्टाचार बढ़ाये – हर पैरेंट की इच्छा होती है कि उसके बच्चे शांत और शलीन हो जब वह बाहर जाये या घर पर ही हो थोड़ा डिसिप्लिन फॉलो करे।

कुछ आसान से रोज़मर्रा की जिन्दी में यूज़ होने वाले etiquette तो बच्चो को हम घर रूपी स्कूल में सीखा देते है जैसे की – please , thank you आदि।

ये एक पैरेंट होने के नाते हमारी सबसे पहले सबसे जरुरी जिम्मेदारी होती है जब बच्चा ममा डैडी बोलना शुरू करता है।

तभी से पैरेंट को चाइये की धीरे धीरे बचो को आसान से use में आने वाले शब्दों की प्रैक्टिस करवाए जोकि slowly उनके हैबिट में आजाएगी

ये आपके बच्चे का पहला सोशल interaction लेसन होगा जो वोह आप से सीखेगा यदि आप कम उम्र में ही बच्चो को अच्छी बातें बताते और सिखाते है तो उनका आने वाला कल बेहतर होगा।

ये उनमे नया उत्साह और ऊर्जा बढ़ाएगा जिसके बलबूते वोह सफलता की सीढ़ी चढता जाये गा वैसे तो आप काफी सारी बातो को पहले से जानते होंगे।

चलिए एक फिर से आपने आप को रिफ्रेश करते है

Teaching kids good manners – अच्छे व्यहवार के importance को समझाये

पेरेंट्स को चाहिए की बच्चो को यस please और थैंक यू जैसे वर्ड्स को use करना।

जितनी जल्दी वोह इन शब्दों को पकड़ेंगे उतना ही इजी उनकी preschooling होगी और ये याद रकने वाली बात है की बचपन में सीखी हुई चीजे हमें जीवनभर साथ रहती है।

आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं वोह बहुत तेजी से बदल रही है इस वक्त में बचो को गुड हैबिट सीखना थोड़ा मुश्किल हो

यही हमरी जिम्मेदारी एक पैरेंट के रूप में बढ़ जाती हैं, जहाँ हम उन्हें ऐसी व्यहवहार से अवगत करवाए जहाँ वोह सबको एक सामान रेस्पेक्ट दे।

इन हैबिट की practice आप अपने घर से ही या किसी shopping स्टोर या फिर छोटी सी फॅमिली डिनर gathering हो हो वह से इसकी की शुरूआत कर सकते है जो आगे चल के आप के बच्चे के लिए काफी helpful रहेंगी।

Teaching kids good manners - बच्चों मे उत्तम और अच्छे शिष्टाचार  बढ़ाये

Teaching kids good manners – समय की अहमियत समझाएं

टाइम इस मनी ये हम और आप जानते है बच्चों को इसकी वैल्यू समझाने के लिए उन्हे इससे related स्टोरी सुनाइए जिसका theme टाइम से related हो या फाई आप राइम और poem के माध्यम से भी समझा सकते जैसे।

Teaching kids good manners – स्पोर्ट्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें

आज के समय में बच्चे मोबाइल, videogames (वीडियो गेम्स ) और टीवी से कुछ जयेदा ही चिपके रहते हैं ऐसे में उन्हें घर से बाहर निकल शारीरिक रूप से चुस्त रहने की खेल खेलने के लिए उत्साहित करें। 

खेल उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरुरी   हैं खेलों को एक साथ खेलने से मिलकर काम करने यानी टीन वर्क की आदत पड़ती है। इसके साथ वे अनुशासित भी होते है। 

कभी कभी आप भी बच्चो के साथ बच्चा बन के खेलिए आप लोग भी इंजॉय करेंगे और बच्चे भी काफी ज्यादा

अर्ली तो बीएड एंड अर्ली तो राइज। सुबह जल्दी उठने की आदत

अर्ली तो बीएड एंड अर्ली तो राइज यह कहावत तो आपको याद ही होगी बचपन से सुनते आरहे है यह अपने बच्चों को भी सीखना है

आज का ये ट्रेंड है देर रात तक जागना लेकिन आप के बच्चो के ऊपर इसका बुरा प्रभाव पड़े गा सबसे पहले तो बड़ों को अपने दैनिक जीवन में पंक्चुअलिटी लाननी चाहिए , क्योंकि बच्चे ही बड़ों की आदतों का अनुसरण करते हैं.

इसीलिए खुद भी अपने दैनिक जीवन में सभी कार्यों को समय पर करना चाहिए, ताकि बच्चे भी आपसे कुछ सीख ले सके.

सही समय पर सोने एवं सही समय पर उठने से सेहत को बहुत ही लाभ मिलता है.बच्चा सुबह जल्दी उठे तो आपके बच्चे को सर्वप्रथम जल्दी सोना भी होगा. 

नीचे हमने कुछ टिप्स बताए हुए हैं उन्हें फॉलो करे करेने से बच्चे का एक नियम बन जायेगा – जैसे :

सोने से पहले जरूरी कार्य को शीघ्र खत्म करने को कहिये

ऐसा करने से उनका mind prepared होगा ये समझने के लिए अब सब सोने की तैयारी करना है। धीरे धीरे ये चीज प्रैक्टिस में आ जाएगी और बचे जल्दी सोने लगेंगे।

रात को सोने के लिए एक सही समय बनाएं

और उसे हर दिन फॉलो करने के लिए बच्चे की हेल्प करिये।

एक छोटा बच्चा जब सोने जाता है, तो उसको लगभग 5 मिनट का समय लगता है,

परंतु जब 1 साल या 1 साल से अधिक उम्र के बड़े बच्चे सोने जाते हैं, तो उनको छोटे बच्चों से ज्यादा समय लग जाता है.

यही कारण है, कि छोटे बच्चे जल्दी सोते हैं, तो वहीं बड़े बच्चे अपने उम्र के हिसाब से सोने के लिए अधिक समय ले लेते हैं.

इसीलिए अपने बच्चों को छोटे-पन से ही सोने के लिए एक निर्धारित दिनचर्या को तैयार करना चाहिए, जो आगे चलकर यही आदतें बच्चों को सुबह जल्दी उठने में सहायक होंती हैं.

बच्चों को सोने से पहले नीचे लिखे कुछ जरूरी काम को करने के लिए कहिये

जो की बहुत आसान है जैसे

  • बच्चों का चेहरा धोना,
  • रात को सोने वाले कपड़ों का इस्तेमाल करना 
  • पैर को पानी से धोना etc

सोने से पहले बच्चों को सकारात्मक चीजों के बारे में बताएं

बच्चों को सुलाते समय उनको अच्छी एवं सकारात्मक वस्तुओँ के बारे में जानकारियां उनको अवश्य प्रदान करें .

अपने बच्चों को सोते वक्त वीरता एवं शौर्य की गाथाएं जैसी कहानियां भी सुनाएं.

ऐसा करने से आपके बच्चे को अच्छी नींद आएगी एवं वह एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ सुबह उठने में सक्षम रहेगा

अपने बच्चों को सुलाते वक्त उसकी पसंद की वस्तुएं उसके पास अवश्य रखें

बच्चों को ज्यादातर उनकी पसंद की चीजें अपने पास ऱखकर सोना अच्छा लगता है.

इसीलिए यह जरूरी है , कि बच्चों को चलाते वक्त उनकी पसंद की वस्तुएं जैसे उनका खिलौना , तकिया आदि उनके सोते वक्त उनके करीब जरूर रखें .

ऐसा करने से बच्चों को सोते समय आराम महसूस होता है और वे खुद को शांत महसूस करके सो जाते हैं.

अलार्म का प्रयोग करें और बच्चों को उठाएं सुबह जल्दी

अपने बच्चों को सुबह जल्दी उठाने के लिए अलार्म सेट करें और जैसे ही अलार्म बजे अपने बच्चों को उठाकर दैनिक कार्यों को करने में लगा दे.

यदि आप अपने बच्चों को अलार्म बजने के तुरंत बाद दैनिक कार्यों में नहीं लगाएंगे तो वह दोबारा से सो जाएगा और वह उठने में खुद को असमर्थ महसूस करेगा.

इसीलिए यह जरूरी है, कि आप खुद भी अलार्म के साथ अपने बच्चों को जगाएं और दैनिक कार्यों को करने के लिए उनको प्रेरित करें.

रात के खाने में फ़ास्ट फ़ूड बिलकुल न दें

रात में अपने बच्चों को फास्ट फूड जैसी खाद्य पदार्थ का सेवन ना करने दे. यदि आपका बच्चा फास्ट फूड का प्रयोग रात में सोने से पहले करता है , तो उसको सुबह उठने में परेशानी होगी क्योंकि ,

यह सभी फास्ट फूड की चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं. रात में सोने से पहले आप अपने बच्चों को हल्का खाना खिलाए.

ऐसा करने से बच्चे का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और वह खुद को एनर्जेटिक भी महसूस करेगा.

सुबह का आलस दूर करने के तरीके

जब आपका बच्चा सुबह उठ जाए तो , सर्वप्रथम आप अपने बच्चों का मुंह, हाथ धुलवाएं और उनके आंखों में कुछ पानी की बूंदे भी मारे.

ऐसा करने से आपका बच्चा खुद को एकदम तरोताजा महसूस करेगा और उसका आलस्य भी उससे दूर भागेगा.

अपनी चीजों और कमरे की सफाई

अक्सर बच्चे अपने कपड़े, खिलौने, किताबें और दूसरे सामान बिखेरकर रखते हैं लेकिन इन आदतों को बचपन में ही सुधार लेना जरूरी है।

उन्हें प्यार से समझा करके सफाई के महत्तव को समझाना पड़ेगा। उनमे ये आदत पड़नी ही चाहिए क्योंकि उनकी ये आदत आगे चलकर उनके व्यक्तितत्व के विकास में सहायक साहित होगी

धैर्य रखना सिखाएं

कई बार बच्चे जिद करने लगते है। और कई बार यही होता है की माँ बाप उनकी मांग मन लेते हैं और उसे पूरा कर देते हैं ।

मगर ऐसा करना सही नहीं है। माता-पिता का फर्ज बनता है कि वे उन्हें धैर्य रखना सिखाएं ।

सहयोग की भावना जगाएं

बच्चों को एक दुसरे मदद करनी चाहिए। ये आदत उन्हें बचपन से ही पड़नी चाहिए।

भाई बहनों व्यव्हार , दोस्तों से उनका मेल जोल सब जरूरी है। बड़े होके उनकी यही आदते उनका व्यक्तित्वा बनाती हैं।

मेहनत की आदत सिकाएँ

कई बार हम माँ बाप बच्चों का होमवर्क कर देते हैं जो वो स्कूल से लेके आते हैं। ये एक उदाहरण है की हम कैसे बच्चों को मेहनत से दूर कर देते हैं।

पेरेंट्स को बच्चोें की हर काम में मदद करनी चाहिए। मगर बच्चों का सारा काम पेरेंट्स करें यह गलत है।

आपको अपने बच्चों को शुरू से ही मेहनत करने की आदत डालनी चाहिए। 

दूसरों से सीखने की आदत

आजकल के बच्चे हर छोटी-छोटी बात को दिल से लगा लेते है। हमें उन्हें समझाना है और बताना है की उन्हें हर मौके पे कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है।

और हमें दुसरे से सीखने में कोई हिचकिचाहट नहीं होना चाहिए।

हमें हर समय कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता ही है। बस अपने आस पास देखने कि जरूरत है।

असफलता से न डरे

ये शायद सबसे बड़ी सीख है जो आप अपने बच्चों को दे सकते हैं।

बच्चों को समझाएं कि सफलता पाने के लिए अफलताओं का भी सामना करना पड़ता है।

कुछ लोग असफल होने के डर से नई चीजों की कोशिश ही नहीं करते हैं ।

क्योंकि जब भी आप कुछ नया करते है और उसमे कुछ असफलताएं आती हैं तो आप उससे कुछ सीखते हैं ।

अगर जिंदगी में कुछ सीखा ही नहीं तो ऐसा जीना बेकार है।

इसलिए अपनी असफलताओं पे शर्मिंदा होने से अच्छा उनपर गर्व फील करें।

हमेशा ऐसासोचना चाहिए की एक दिन सफलता जूरर मिलेगी। 

बच्चों को ये सिखाएं कि आप जो भी काम हाथ में ले रहें है उसे पूरी जी जान से करें।

हर चीज को थोड़ा बेहतर करने की कोशिश करें। धीरे धीरे ऐसा करने से ये उनके habit में आ जायेगा जो आज के समय में बहुत जरूरी है।


निष्कर्ष

सब बच्चों के लिए उनके पेरेंट्स उनके रोले मॉडल होते है इसलिए पैरेंट को चाहिए की वो बच्चों के सामने एक अच्छा उदहारण पेश करें।

ऐसा कुछ न करें जो बच्चों को कुछ ऐसा मैसेज दे जो आप नहीं चाहते हैं।

Teaching kids good mannersबच्चों मे उत्तम और अच्छे शिष्टाचार बढ़ाना एक प्रक्रिया है और इसमें समय लगता है।

यदि आप बच्चों को अच्छे शिष्टाचार देखना चाहते हैं तो याद रखें कि आपको खुद भी इस तरह के व्यवहार से छुटकारा पाना पड़ेगा , जिसे आप नकारात्मक मानते हैं।

जब आप लगातार अपने बच्चों के सामने अच्छे शिष्टाचार का उपयोग करते हैं, तो वे शिष्टाचार का पालन करते हुए बड़े होते हैं।

और उनके जीवन का हर पहलू इन अच्छी आदतों से खुशबू से भरा रहता है।

उम्मीद करती हों की आपको हमारा ये आर्टिकल – Teaching kids good manners – पसंद आया होगा।


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