Ghamandi Gulab ( घमंडी गुलाब )। Bachoon ki naitik kahani
Ghamandi Gulab – Chapter #1
एक बार की बात है, दूर देश एक रेगिस्तान में, एक गुलाब का पेड़ था। गुलाब के फूल का पेड़ बहुत ही सुन्दर गठा और उसे अपने सुंदर रूप पर बहुत गर्व था।
पर गुलाब के इस पेड़ को एकमात्र शिकायत यह थी की वास् एक बदसूरत कैक्टस के बगल में बढ़ रहा था ।
गुलाब को अपनी सुंदरता पे बहुत घमंड था और वह उस कैक्टस के पेड़ को बिकुल पसंद नहीं करती थी। उसे अपने आप को कैक्टस के बगल में देखना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था।
गुलाब हर दिन, कैक्टस का अपमान करता था और उसके बनावट का मजाक उड़ाता था। उसे कैक्टस काफी बदसूरत लगता था और इसलिए गुलाब उसका अपमान करता था।
Ghamandi Gulab – Chapter #2
कैक्टस को यह अच्छा नहीं लगता था फिर भी कैक्टस चुप रहता था।
आस पास और भी कई पौधे लगे थे और वो गुलाब के वर्ताव से खुश नहीं थे।
आस-पास के अन्य सभी पौधों ने गुलाब को समझने की कोशिश की।
लेकिन गुलाब तो अपने ही रूप से प्रभावित थी और उसे बाकि किसी की बात समझ में नहीं आती थी।
समय बीतता गया। एक बार एक चिलचिलाती गर्मी में , रेगिस्तान सूख गया, और पौधों के लिए पानी नहीं बचा।
Ghamandi Gulab – Chapter #3
सारे पौधे इस चिलचिलाती धूप में सूखने लगे।
गुलाब जल्दी मुरझाने लगा। उसकी सुंदर पंखुड़ियाँ सूख गईं, अपना रसीला रंग खो दिया।
उसकी नजर कैक्टस पे गयी।
उसने देखा कि एक गौरैया पानी पीने के लिए अपनी चोंच को कैक्टस में डुबा रही है।
गुलाब को यह देख कर काफी शर्म का एहसास हुआ।
हालांकि शर्म आ रही थी, फिर भी गुलाब ने कैक्टस से पूछा कि क्या उसे कुछ पानी मिल सकता है।
कैक्टस दयालु था। उसे गुलाब पे दया आ गयी एंड वह उसे पानी देने के लिए सहमत हो गया।
गर्मी के माध्यम से ही सही , गुलाब और कैक्टस अच्छे दोस्त बन गये।
सो इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है ?
कभी भी किसी को उनके दिखने के तरीके से मत आंकिए।